क्यो लुटती है अस्मत...?...

लूटती है अस्मत खुले आम सडक पर...
कभी विघा के मंदिर मे तो कभी घर पर...

चिल्लाती है मिडिया जलती है मोमबत्तीयाँ....
चर्चा होती चौपाल पर सुलगता है सोशल मीडियाँ..
    
और फिर से अगले दिन लूट जाती है अस्मत...
दरिंदगी के पते पर छप जाता एक और खत...

कानून भी है और रखवाले भी है...
तो फिर रोज क्यो घटती घटनाएं है...

आखिर कमीं क्या है इस माहौल मे...
शिक्षा,संस्कार या सोच मे...

इस सवाल के खोज मे भटक रहा हूँ मै...
                       
भटक रहा हूँ मै...
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भटक रहा हूँ मै....

भटक रहा हूँ मै...


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