कौफी

कौफी............................................

कितना विचित्र सा है ये ना शब्द,होती ये चाय सी नही...

एक कौफी का किस्सा सुनाता हूँ,किस्सा सच्चा है झुठा नही...

एक कौफी पी थी मैने,वो कौफी-कौफी थी नही वो कौफी थी आखिरी...


मुस्कुराओ तुम थोडा कम जरा,ये प्रेम कहानी है नही...

ये भाई कि भाई के संग कौफी थी आखिरी...

रोऊंगा नही, रो लिया पहले ही बहुत छुप-छुप के कही...

गला जो फिर भी भर आए तालियों मे दबा देना उसे वही...


वो कौफी-कौफी थी नही,वो कौफी थी आखिरी...!...


माँ का ख्याल रख रहा हूँ,बहनो से भी लडाई अब होती नही...

अ हाँ सोचना भी मत,अब तो उम्मीद भी मुझसे होती नही...

मोदी ने फिर से चुनाव जीत लिया,अब इसको हराना कांग्रेस के बसका नही...

हारी क्यो पता नही पर अब इंटरनेट मिलता इतना मंहगा नही...


वो कौफी-कौफी थी नही,वो कौफी थी आखिरी...!...


पहली रात जो कहा था ये दुनिया है बहुत बुरी...

बात अब समझ आई,वो बात थी बिल्कुल खरी...

लक्ष्मण भी ना था वैसे मै,और भरत तो कभी बनना था नही...

राम भी तुम ना थे,और ये वनवास भी निश्चित काल का है नही...


वो कौफी-कौफी थी नही,वो कौफी थी आखिरी...!...


जाने की जल्दी बहुत थी,ये हुआ कुछ भी अचानक से नही...

चिठ्ठी ही लिख लेते किसी पते पर,ऐसा कोई पता भी दिया नही...

कहते है ये कुछ लोग जाने वाले लौटते कभी नही...

फिर भी एक बची उम्मीद आखिरी,ये आखिरी कभी आखिरी होती नही...


वो कौफी-कौफी थी नही,वो कौफी थी आखिरी...!...


कुछ बनना था मुझे,कवि कैसे बना पता नही...

राजनीति मे लिप्त हुआ,बन रहा हूँ या बना नही....

बनना था जो मुझे बना नही,बनना जो चाहिए था वो भी बना नही...

बना जो कुछ वो कुछ बना नही,बना भी कुछ गर अभी बना नही...


वो कौफी-कौफी थी नही,वो कौफी थी आखिरी...!...


केजु चाचा ने कि वफा नही,पोपट कि भी शादी अभी तक हुई नही...

टोनी को चुटकी बजानी पडी,थैनोस ऐसे ही मरा नही..

अटल के अटल शब्दो पर अटल अब कोई रहा नही...

ना जाने किसकी नजर लगी पर भारत अब भारत रहा नही...


वो कौफी-कौफी थी नही,वो कौफी थी आखिरी...!...


ये कौफी-कौफी सी क्यो होती,होती ये चाय सी क्यो नही...

पी लो तीन दफा दिन मे होती ना ये कभी आखिरी...


वो कौफी-कौफी थी नही,वो कौफी थी आखिरी...!...

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