ये मेरे देश मे मचा कैसा शोर है...!...
ये मेरे देश मे मचा कैसा शोर है...!...
ये जो शोर मचा है मेरे देश मे,ना जाने ये कैसा शोर है...
कौन सही और कौन गलत,इसका निर्णायक कौन है...
बहरो को कुछ दिखता नही,और ये गुगें क्यो ना होते मौन है...
ये आजादी माँगते किससे,ये गुलाम बची कौनसी कौम है...
सवेरा होने को है या काली ये रात घनघोर है...
इतना तो मालूम है मुझको,ये ना अच्छी भोर है..
ठीक ना होता खुदा जाने ये कैसा कौड़ है...
रास्ते खत्म हो चुका या सिर्फ एक मोड है...
ये भागते क्यो अजीब से,हे खुदा!ये तो लंगडो कि दौड है...
लंगडो के ही साथी है खडे हुए या लूलो के हाथ मे डोर है...
कौन किससे मिला हुआ है,किसका रूख किस ओर है...
एक दीवार क्या गिरी,ये परदे के पीछे खडे सारे चोर है...
ये शेर-बाघ का युद्ध नही,ये कीचड मे मचा शोर है...
वराह कि क्रीडा देख क्यो सोन चिडिया मौन है...
ये मेरे देश मे....
जो शोर मचा है मेरे देश मे,ना जाने ये कैसा शोर है...
कौन सही और कौन गलत,इसका निर्णायक कौन है...
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