चलो आज कूद जाओ छत से...!...

टूटके तिनका-तिनका बिखर चुके हो,चलो आज कूद ही जाओ छत से...
लाखो चिराग है जलते और बुझते,फर्क ही क्या पडेगा किसी को तुम से... 
ऐसे एक हजारो बुझते है हर रोज यहा,बुझ जाओ तुम भी क्या ही रूकोंगे तुम मुझ से...

बस पलभर के लिए ठहर जाओ,कुछ बाते करनी है जरूरी तुम से... 
जाना हो चाहते चले जाओ,पर क्या भाग पाओगे तुम खुद से...
ये देह त्यागकर सुख मिलेगा जरूर,ऐसा किसने कहा है तुम से...
पछाताओगें रूह जो तडपेगीं अपनो कि,कैसे फिर नजरे मिलाओगे खुद से...

अस्तित्व ये जो तुम्हारा है,मिलेगा क्या इसे मिटाके,मिटाना जो तुम चाहते मिटेगा ना वो खुद को इस तरह मिटाने से...
आखिरी भी तुम्हारा तुम्हीं से छिन जाएगा,कोशिश जो बची आखिरी बन जाएगी वो भी यू मिट जाने से...
कवियों कि कल्पनाओं मे क्यो उलझ गए,लेती है ये मिट्टी बस एक काम दिल से...
रूक जाओ जरा अभी ना कूदो,बात करनी है अभी तुमको कुछ तुम्हीं से....

असफल ही तो हुए हो,क्या कमजोर हो इतने जो मरने से पहले ही मर गए जिंदगी से...
जीना हो चाहते तो क्यो डर रहे हो,डरना नही है,डरते वही है जिनमे साहस कि कमी है,क्या मर जाओगे बस एक कमी से... 
कपाल क्रिया के बारे नही जानते,स्मृतियां मिट जाएगी फिर देखे जो सपने जीना हो जो चाहते,जीओगें कैसे...

मेरी बात मानो शुरुआत होगी नयी,चाहोगे जो मिलेगा वही,है बस ये कोशिश मे कमीं,खफां नही है कोई यहा तुम्ही से...
धूप जो खिली बरसात भी होगी,समझों ना जरा विज्ञान है ये,बिना धूप के बरसात ना होगी,बाढ भी आ जाती है ज्यादा बरसने से...
एक और कोशिश कि रह जाए ना कमी,खूबसूरत बनेगी जिंदगी तुम्हारी,छिनेगा सबकुछ मिलेगा ना कुछ कूद जाने से...
मुश्किल नही है कूदना वहा से,मुश्किल है जीन फिरसे यहाँ से,फिर भी जाना है तो कूदते क्यो नही हो तुम वहाँ से...

बात मेरी ये मानो आ जाओ लौट आओ मुझी मे,थक गया हूँ मै बचाते-बचाते खुदी को खुदी से...
कूदना हो चाहते तो कूद जाओ,जीना नही अब तो कूद जाओ,थक चुके हो गर तो कूद जाओ,क्या हुआ?क्या अब जीना आसान है कूदने से...?...

टिप्पणियाँ