क्या मै आजाद हूँ...?...

क्या मैं आजाद हूँ...?... 

  अपनें हीं इतिहास सें मैं अज्ञात हूँ।
  पुछता हर एक सें मैं कौनों जात हूँ ।
  धर्म कि लडाई़ में बंदर-बाँट हूँ ।

क्या मैं आजाद हूँ...?...

   कश मारें कन्या स्त्रीं सशक्तिकरण मैं आज हूँ।
   पुरूष लुटें इज्ज़त मंत्रींयों का नाज हूँ।
   घोटोलों का मैं सरताज हूँ। 
   भ्रष्टाचार मे लिप्त मै आवाम हूँ।

क्या मैं आजाद हूँ...?...

      ना जंग मे हूँ ना रंग मे हूँ।
      फिर भी सरहदों पर तंग मै हूँ।
      भूखा रह सकें ना कोईं फिर भी ना मैं किसान हूँ।

क्या मैं आजाद हूँ...?...

        ऐजंल प्रिया बन चुका मैं युवा हूँ। 
        पापा कि परीं का मैं चुजा हूँ।
        किकीं कें चैलेंज में हीं मैं उलझा हूँ।

क्या मैं आजाद हूँ...?...

        नफरतों कि आग में जलता मैं भारत हूँ। 
        हिंदू मुस्लिम सिख ईंसाईं में मैं ढूँढता भारत हूँ।
        इंसान में इंसान कि खोज में भटकता मैं इसाँन हूँ।

क्या मैं आजाद हूँ...?...

        हाँ पुछता मैं तुमसें क्या मैं आजाद हूँ। 
        धर्म कि बेडियों में लिपटा मैं सोनें का बाज हूँ।
        फिर भी मैं आजाद हूँ....(३)

        क्या मैं आजाद हूँ...?...        
        


   
    

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