मृत्यलोक से वापिसी

बचपन सुनते आ रहे है कि जाने वाला कभी लौटके नही आता है परंतू अबकी आने वाली अमावस्या को इतिहास लिखा जाएगा।जो आजतक कभी नही हुआ वो अविश्वासनीय कृत्य होगा।चित्रगुप्त ने गलत गणना करके पिछले साल ज्यादा लोगो को मृत्य का निवला दे दिया।अब गलती उनकी भी नही है कई हजारों सालो से बिना अवकाश के कार्य कर रहे है।अब उन लोगो कि वापिसी होनी थी पर सबसे पहले डाटाबेस मे हुयी त्रुटि का सुधार करना था।अतः उसके लिए धरती से कुछ विद्वान सी.ऐ, अकाउंटेंट, व कर्लक को धरती से ठेका दिया गया।सभी धरती वासी उत्साहित थे।कोई दुआ कर रहा था कि मेरा बच्चा वापस आ जा तो कोई कह रहा था बस इनके पापा वापस ना आएँ।खैर यह तो अमावस्या कि रात को ही पता चलेगा कि कौन-कौन वापस आएँगा।जब सारा डाटाबेस अपडेट हो गया तो एक नयी समस्या उत्पन्न हुयी।जिन लोगो को लौटना था उनके शरीर या तो जला दिए गए या फिर दफना दिए गए।अतः सबकी सहमती से निर्णय लिया गया कि धरती से एक कुम्हार को बुला जो मिट्टी के शरीर बनाके देगा जिनमे उन आत्माओं का प्रवेश होगा।सभी लोग बहोत उत्साहित थे आखिर वो दिन आ ही गया।वो सभी लोग जिन्हे कार्यालय बुलाया था वो सभी एक पक्तिं मे अपनी अपनी धन कि पोटली लिए मुस्कुरा रहे थे सिवाए कुम्हार के...।
सभी मिट्टी के ढाँचो को सही क्रम मे लगाया गया और उनमे प्राण फूंकने कि विधि शूरू हो गयी।पर जैसे ही ढाँचो मे प्राण आए वो धंच करके चटक गए और पट करकें टूट गए।सभी लोग घबराके इधर उधर भागने लगे।धमाके और भगदड से करीब दौ सौ लोगो को अपनी जान गवानी पडी।
जब शिव जी ने एक जाँच कमेठी बैठा के जाँच करी तो पता चला मिट्टी मे मनुष्यों ने प्लास्टिक को दफन कर रखा है बजाय उसे रिसाइकिल करने के।अब प्लास्टिक इतनी ऊर्जा झेल नही पायी और वो चटक गयी।कुम्हार को यह बात पता थी इसलिए वो चुप था और इस चुप्पी के लिए उसके सौ सोने के सिक्कों का हर्जाना लगाया गया।अतः मे शिव जी ने सभी जन को संबोधित करते हुए कहाँ,"अगर तुम सब मृत्यलोक वासी प्लास्टिक को धरती मे दफाने कि बजाय उसे रिसाइकिल कर लेते तो आज जो लोग पहले जा चुके है वो भी तुम्हारें बीच होते और ना ही उन दौ सौ लोगों को अपनी जान गंवानी पडती।"