फूफाजी नाराज है

बारात दरवाजे से मात्र पौने ग्यारह मीटर दूर थी और लडकी वाले रिबन बाँध के उस पार चेहरे पे मुस्कान लिए खडे थे।सब कुछ लग रहा था हाँ शादी हो रही है।लाईट थी,बाजा था,दिसंबर कि कडाके कि सर्दी मे बिना स्वेटर के लेडिस डिपार्टमेंट था।आह! हम घोडी के आगे अपनी ही धुन मे नाचे जा रहे थे,प्राईवेट नौकरी मे बाँस के आगे नाच-नाच के थक गए थे,आज जिंदगी मे पहली बार घोडी के आगे नाच रहे थे।कसम से बारात के चलने से पहले गन्ने का जूस पीए थे पर सबको लग पूरी बोटल अंदर है।खैर इतनी देर मे कब बारात पौने ग्यारह मीटर से घट कर साढे दस मीटर रह गयी पता ही नही चला।अब इससे ज्यादा भयानक स्थिति ये हुयी कि फुफाजी,वो फुफाजी जो नाराजगी मे पी.एच.डी रहते है,वो हमारे साथ उछल-उछल के नाच रहे थे।हमारी दिल धडकने क्या ट्राफिक मे फंसी गाडी कि इंजन के माकिफ चलने लगी।हमे तो अपनी आँखों,कान ,नाक किसी पे भी यकिन नही हो रहा था।फूफाजी नाराज नही है...?..
हम घबरा गए और नजरे उठाके चाचा-ताऊ कि लडकों कि तरफ देखा,वो भी आशा भरी नजरों से देख रहे थे।आँखों ही आँखों मे पूरी योजना बन गयी पर समय बहोत कम था क्योकिं दुरी अब दस मीटर रह गयी।मात्र 1 घंटा 40 मीनट और 36 सेंकड थे हमारे पास फुफाजी को नाराज करने के लिए।
सबसे पहले सबसे छोटे फुफाजी के भाँजे ने दाव चला।वो एक गिलास कोलड्रिंक लेके आया और फूफाजी पे गिराता उससे पहले वहाँ पर एक बला पर अपना दिल ही गिरा आया।अब बारी आयी दुसरे कि।आई.आई.टी से पढके खुद को छाँछर ही समझने लगा था।अब फूफाजी कैसे भी हो है तो इंसान ही ना,इसलिए टाँयलेट गए।वहाँ उसने पूरा इंतजाम कर दिया उनकों कंरट मारने का।पर ये क्या उससे पहले ही लडकी का भाई आ गया वहाँ....बेचारा....।अब ये आईडा भी फ्लाप।अब बारी आई हमारी...आह..हा... अहा....गिर गिर के बारवी और फिर बी.ए के साथ बी.बी.ए(बीबी की बाँहों मे आराम), करने वाली की।हमने अपना कमप्यूटर से भी तेज दिमाग चलाया और छुपके सी पीछे जाके शेरू से उनके पैंट पे टाँयलेट करवा दी।आह!बैंड मे जब फूफाजी का अलाप निकला....ये क्या अचानक से अलाप बंद।हमने देखा तो बुआ कि आँखों ने उस पूराने रेडियो को झट से बंद कर दिया और हमारा आईडा भी फ्लाप हो गया।खैर अब तो बारात मात्र डेढ मीटर ही दुर थी।अब मात्र आधे घंटे मे हम क्या उखाड लेंगें।चलों वापिस घोडी के आगे नाचों कल से फिर बाँस के आगे नाचना है।