दूध कि थैली

स्टेशन पर आज सामान्यता से थोडी ज्यादा भीड थी।हम अपनी ट्रेन का इंतजार कर रहे थें जोकि दों घंटें की देरी से थी।तभीं हमारी नजर ना जानें क्यों एक नौजवान हद से हद २२ वर्ष पर अटक गई।कालीं पैंट,कालें जुतें,काला कोट और उसके अंदर सफेद शर्ट।देखनें से तों काफी सज्जन और समृद्ध प्रतीत हो रहा था किंतु कुछ घबराया सा था।एक अलग ही बैचेनी उसके चेहरें पर दिख रही थी।तभीं उसकें नजदीक से एक औरत निकली जिसनें पोलिथिन मे एक दुध कि थैली ले रखी थी।अचानक से क्या हुआ कि वों युवक बंदर कि भाँति झपटा और मनुष्य कि भाँति दुध कि थैली छीन भागनें लगा।स्टेशन में भागमभागी हो गयी।वों युवक कभीं खडीं ट्रेन से टकरता तों कभी किसी दुसरें इंसान से।तभीं एक हाथगाडीं नें उसें गिरा दिया और लोगों की लाते चलनी शुरू हो गयी।वों युवक कि जान खतरें मे थी पर उसे थैली कि पडी थी।अपनें आप कों दाँव पर लगाकंर उस थैली को वों बचा रहा था।एकदम से पुलिस की ऐंट्री से भीढ कुछ रूकीं और वों झट सें खिसका पटरियों में पटका और सीधा स्टेशन से बाहर।पुलिस उसकें पीछें हम पुलिस के पीछें दौडें चलें जा रहें थें।पुलिस नें हवा में चेतावनी पर वों नही रूका।अनानायास ही एक तेज रफ्तार आती गाडी नें उसें टक्कर मारी और मुँह के बल तपती चारकोल कि सडक पर वों पट हो गया।किंतु उसनें हार नही मानी।इससें पहलें कि हम लोंग ऐकसिडेंनट कें झटकें के वों क्षणिक पल से उभरतें उसनें लडखडा कर दौडना शुरू कर दिया।दौडतें दौडतें वों छोटें से खोपचें मे घुस गया जहाँ उसकी भूख से मृत बीबी अपनें दों माह के बच्चें के लिए दुध का इंतजार कर रही थी।हम उसकें पति कों देख रहे थें उसका पति हमें देख रहा था पर वों पुलिस वालें हमारें साथ नही थें।हम कुछ समझें या समझाएँ तुरंत वहाँ सडक पर वापिस आएँ जहाँ पुलिस के साथ लोगों की भीड थी और बीच सडक पर उस युवक कि डेड बाँडी।उसकें सर सें खुन बह रहा था पर आँख़े अभी भी हमें ही देख रही थी।हम घबराएँ और उस घर मे वापिस गए।उसकों अपनें साथ अपनें हापुड़ में ले आएँ।
अपना सबकुछ उसें ही मान लिया।जिस लडकी से हमनें प्रेम किया उससें क्षमा माँग ली और आजीवन कुवाँरें रहनें का फैसला लिया।पढ लिखकें जब वों बडाँ हो गया तों उसका विवाह उसकी प्रेमिका से करा दिया।कल उसकी शादी कि सालगिरा थी और उसके ससुराल वालें आएँ थें।हम दुध कि थैली लेनें गए पर संयोग वश उस दिन हडताल के कारण सिर्फ एक थैली मिली।जैसें ही घर में घुसें तों सामनें से गली का कुत्ता बाहर कों भगा।डर के मारें थैली हाथ से छुट गयी।उसकें ससुरालियों कों बिना चाय के ही जाना पडा।उनकें जानें के बाद उसनें हमें खाट से उठाया और ले जाकें बाहर पटक दिया।साथ मे यें भी कहाँ आज के बाद मेरें घर के आसपास भी मत दिख जाईयों।हम निष्ठुर आदमीं पटरियों कि ओर चल दिए मन मे बस एक मलाल लिए कि साला यें ट्रेनें टाईम पर क्यों नही आती है।樂樂樂
हाहाहा☺️☺️☺️