झंड

दो अक्षरों के मेल से बना यह अद्भुत शब्द आम जन मे प्राचीन काल से काफी लोकप्रिय है।आज कि युवा पीढी इसे चुहिया काटना भी कह देती है परंतू अर्थ एक ही है।झंड को अनेक परिभाषाओं मे परिभाषित किया जा सकता है अर्थात झंड अनेक प्रकार कि होती है-

१:बातुनी झंड-किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को अपने तर्क से उत्तरहीन करना उसकी झंड करना कहलाता है।उदः जैसे किसी दिसंबर के महीने मे कहाँ ठंड बहोत पड रही है और दुसरी व्यक्ति ने कह दिया और क्या जुन मे पडेगी।इस तरह दुसरे व्यक्ति ने पहले व्यक्ति कि झंड कर दी।

२:कार्य झंड-किसी व्यक्ति द्वारा किसी कार्य को करने के अनुबोधन करने पर भी दुसरी व्यक्ति द्वारा वो कार्य ना करना झंड कि श्रेणी मे आता है।उदः जैसे कोई व्यक्ति पब्लिक बस रोकने के लिए हाथ दिखाएँ परंतु बस ड्राइवर तेजी से बिना रोके बस निकाल ले।इस प्रकार उस व्यक्ति कि झंड हो जाती है।

३:सोशल झंड-इस प्रकार कि आधुनिक समय मे अस्तित्व मे आई है।इस झंड से अभिप्राय है कि किसी व्यक्ति ने कोई पोस्ट सोशल मीडिया पर साझा कि और उसके अन्य व्यक्तियों कि कोई पंसद या प्रतिक्रिया नही आई।ये झंड आज के समय मे सबसे बडी झंड मानी गयी है।उदः अब जैसे मैने यह लेख लिखा है और आप सब इसपे कोई प्रतिक्रिया ना दो तो आपके द्वारा मेरी झंड हो जाएँगी।

उपलिखित परिभाषाओं से स्पष्ट हो जाता है कि झंड होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है व प्रत्येक मनुष्य को दिन मे एक-दो बार झंड होना काफी सामान्य है।परंतु यदि कोई व्यक्ति हर समय झंड होता है तो उसे झंडू बाम के नाम से संबोधित किया जाता।इसका उदाहरण हमे बाँलीवुड कि एक चलचित्र के संगीत मे मिलता है जिसके बोल कुछ इस प्रकार है,"मै तो झंडू बाम हुयी डारलिंग तेरे लिए।" इस लेख से एक बात और स्पष्ट होती है कि झंड कि भी लिख के झंड कि जा सकती है।इसलिए झंड करते रहिएँ और होते रहिएँ।